अलवर. करौली के मांसलपुर में बीती रात बाघ टी-104 को रेस्क्यू करने में सरिस्का sariska tiger news बाघ परियोजना के दो टाइगर ट्रैकरों का बड़ा रोल रहा। ये ट्रैकर रणथंभौर से निकले बाघ के करौली शहर के पास एक व्यक्ति को मार देने के बाद सरिस्का से भेजे गए थे।
रणथंभौर से पिछले दिनों निकले बाघ टी-104 को रविवार देर रात करौली के पास मांसलपुर में रेस्क्यू किया गया। बाघ ने गत 31 जुलाई को करौली के पास एक व्यक्ति को मार दिया था। तभी से बाघ की तलाश थी। बाघ की तलाश के लिए रणथंभौर के साथ ही सरिस्का से भी टाइगर ट्रैकर बुलाए गए थे। सरिस्का से टाइगर ट्रैकिंग में दक्ष राजेश मीणा व रतनलाल गुर्जर भेजे गए। इनमें राजेश मीणा ने करीब 12 दिन वहां रहकर बाघ की ट्रैकिंग की। वहीं रतनलाल ने भी करीब 5 दिन तक बाघ की ट्रैकिंग में सहयोग किया।
बाघ ट्रैकिंग में दक्ष हैं दोनों
सरिस्का sariska tiger news के टाइगर ट्रैकर राजेश मीणा व रतनलाल रेडियो कॉलर से बाघ की ट्रैकिंग में दक्ष हैं। इन दोनों को पिछले महीनों पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह के सरिस्का आगमन के दौरान आयोजित कार्यक्रम में टाइगर ट्रैकिंग के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। सरिस्का में दोनों ट्रैकर बाघों की रेडियो कॉलर से ट्रैकिंग करते रहे हैं।
रणथंभौर में रेडियो कॉलर के टै्रकर नहीं
रणथंभौर में रेडियो कॉलर से बाघ की ट्रैंकिंग में दक्ष ट्रैकर की कमी है। वहां बाघ के पगमार्क से ट्रैकिंग के दक्ष ट्रैकर हैं। इसलिए सरिस्का से ट्रैकर बुलाए गए। उल्लेखनीय है कि बाघ टी-104 के रेडियो कॉलर लगा था, लेकिन सिग्नल लेकर ट्रैकिंग करने वाले ट्रैकर की जरूरत थी। इस कारण दोनों को वहां बाघ रेस्क्यू के लिए भेजा गया।
सरिस्का के ट्रैकरों के प्रयास कारगर रहे
सरिस्का के ट्रैकरों के प्रयास से बाघ टी-104 को रेस्क्यू करना संभव हो सका। सरिस्का के दोनों ट्रैकरों ने रेडियो कॉलर के सिग्नल से बाघ टी-104 की ट्रैकिंग की, जिससे बाघ को रेस्क्यू किया गया।
हेमंत सिंह
डीएफओ, करौली
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