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Thursday, March 19, 2020

राज्य शासन के तमाम कोशिशों के बावजूद क्षेत्र के संकुलों में नहीं सुधरी शिक्षा व्यवस्था

राजनांदगांव / घुमका. ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था में अपेक्षित सुधार एवं 6 से 14 वर्ष के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार ने तमाम तरह के प्रयास किए ताकि शिक्षा में गुणवत्ता लाई जा सके। छत्तीसगढ़ सरकार ने हर संभव प्रयास करते हुए भारी भरकम बजट और प्रशासनिक अमले की जवाबदेही तय करते हुए शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को इस संबंध में शिक्षा सत्र के शुरुआती दौर में ही कड़े निर्देश एवं सावधानी बरतने हिदायत भी दिया। क्योंकि काफी लंबे समय से ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शिक्षा की बदतर हालत को लेकर लगातार चिंताए जताई जा रही थी और विभिन्न माध्यमों से शिक्षा की बिगड़ी हालत की रिपोर्ट शासन को मिल रही थी जिसके चलते ग्रामीण अंचलों में गुणवत्ता सुधार के लिए कई तरह की योजनाएं बनाकर व्यापक रूप से अभियान शुरू किया गया। परंतु शिक्षा सत्र के अंतिम दौर में हालात अभी तक यथावत दिखाई दे रहा है जिसका मूल कारण जमीनी स्तर पर उच्च स्तरीय निर्देशों का पालन करने में विभाग के अधिकारियों से लेकर संकुल स्तर पर जमकर लापरवाही बरतने की खबर बताई जा रही है।

प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था की हालत बेहद खस्ता
सबसे बुरी स्थिति राजनांदगांव विकासखंड के घुमका अंचल की बताई जाती है। क्षेत्र के घुमका, मोहंदी, उपरवाह, पटेवा, भैंसातरा, हरडुवा आदि संकुल में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था की हालत बेहद खस्ता बताई जा रही है। हालांकि कई स्कूलों में विद्यार्थियों व शिक्षकों का अनुपात भी असमान बताया जा रहा है। जबकि युक्तियुक्त करण के तहत शुरुआत में ही शिक्षकों को व्यवस्थित कर दिया जाना था परंतु ऐसा नहीं हो सका। एपीजे कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान से लेकर और भी कई तरह के गुणवत्ता सुधार के प्रयासों का नाम मात्र भी क्षेत्र में बेहतर प्रभाव नहीं हो पाया।

अधिकांश शिक्षकों को न्यूनतम अधिगम क्षमता के मापदंडों की पूरी जानकारी तक नहीं हो पाई
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में न्यूनतम अधिगम की अपेक्षित क्षमता तक हासिल नहीं किया जा सका है। यहां तक बताया जाता है कि अधिकांश शिक्षकों को न्यूनतम अधिगम क्षमता के मापदंडों की पूरी जानकारी तक नहीं हो पाई है। वहीं लर्निंग आउटकम के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत जारी किए गए गाइडलाइन का ज्यादातर स्कूलों में अता पता तक नहीं है। जबकि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और प्रभावी बनाने के लिए राजीव गांधी शिक्षा मिशन और सर्व शिक्षा अभियान को मर्ज कर समग्र शिक्षा अभियान के तहत पूरे प्रदेश में शिक्षा गुणवत्ता को लेकर लगातार दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

बेलगाम शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह उतर चुकी है पटरी से
कुल मिलाकर प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते बेलगाम शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है तथा राज्य शासन की सभी योजनाओं में खरा नही उतर पाने को लेकर सत्ता पक्ष के क्षेत्रीय स्थानीय एवं उच्च स्तर के जनप्रतिनिधि भी काफी नाराज बताए जा रहे हैं। जिसको लेकर सूत्रों के अनुसार फिलहाल स्थगित बजट सत्र के बाद कई जिम्मेदारों पर तगड़ी कार्रवाई की गाज गिर सकती है। हालांकि अभी कोरोना को लेकर छुट्टियों के चलते जनरल प्रमोशन की बाट जोह रहे शिक्षकों को गुणवत्ता अभियान से निश्चितता को लेकर झटका लग सकता है। कारण कि प्राथमिक से लेकर अन्य स्थानीय परीक्षाओं के पेपर भी आ चुके हैं।



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