उदयपुर/ मेनार. bumper crop कृषि प्रधान मेनार गांव का किसान उन्नत खेती ( Advanced farming ) की ओर अग्रसर है। पानी की कमी के बीच कम लागत में अधिक मुनाफा ( crop profit ) देने वाली कद्दू की फसल को लेकर क्षेत्रीय किसानों ( local farmer ) का रूझान बढ़ रहा है।
वल्लभनगर तहसील क्षेत्र के गांवों में किसानों ने अप्रेल-मई में कद्दू की फसल बोई थी। अब फसल के परिणाम सामने आने लग गए हैं। गर्मी में कम पानी के बीच कद्दू की फसल फायदेमंद सौदा साबित हो रही है। किसान बताते है कि जायद में कद्दू की खेती के लिए हर सप्ताह सिंचाई की जरूरत होती है, लेकिन बारिश के समय में ये मेहनत कम हो जाती है। ग्रीष्मकालीन इस फसल में किसान 8 से 10 दिन में सिंचाई करते हैं। फसल में अधिकतम 3 से 4 बार निराई गुड़ाई की जरूरत होती है। ढाई महीने में इस फसल के फल मिलने लगते हैं। कद्दू की सामान्यत उपज प्रति हैक्टेयर 250 से 300 किवंटल होती है, जबकि प्रति बीघा 60 किवंटल तक उत्पादन होता है, जो एक बीघे में 25 से 35 हजार का मुनाफा देता है। पानी की कमी से हरी सब्जियों ( green vegetables ) का उत्पादन कम होता है तब कद्दू का भाव ऊंचाई पर होता है।
10 बीघा में कद्दू
प्रगतिशील किसान रमेश चन्द्र लुणावत, जो पिछले 4 साल से कद्दू की खेती पर दांव खेल रहे हैं, को इसमें अच्छी सफलता मिली है। वर्ष 2016 में डेढ़ बीघा खेत में कद्दू बुवाई की शुरुआत की तो अच्छी आमदनी हुई। इसे देख प्रत्येक साल कद्दू की बुवाई शुरू कर दी। अब ये 10 से 13 बीघा खेत में कद्दू की बुवाई कर बेहतर उपज ले रहे हैं। रमेश चन्द्र ने बताया की इस वर्ष उन्होंने 10 बीघा खेत में कद्दू की बुवाई मई के पहले सप्ताह में की थी, जिसके फल 2 सप्ताह पहले तोडऩा शुरू किए हैं। रोजाना बड़ी मात्रा में कद्दू बाजार में बेचकर प्रतिदिन हजारों रुपए की आमदनी हो रही है। रमेश ने बताया की 1 बीघा से इस बार 50 से 60 किवंटल कद्दू की पैदावार हुई है। अच्छी किस्म के ये कद्दू की फसल कम समय में तैयार होती है। खेतों में 20 किलो वजनी तक कद्दू हुआ है।
500 क्विंटल पैदावार की उम्मीद
रमेश ने इस वक्त तक 200 क्विंटल कद्दू की बिक्री कर दी है। अभी 5 6 बीघा खेतों में फल की तुड़ाई बाकी है। ऐसे में इस वर्ष कुल 550 क्ंिवटल कद्दू पैदावार की उम्मीद है। बाजार में कद्दू फुटकर में 10 से 12 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा है। थोक में इसकी कीमत 5 से 9 रुपए प्रति किलो तक है। कद्दू को सीधे व्यापारी खरीद रहा है। शुरुआत में 9 तो अब इसकी कीमत ६ से ७ रुपए प्रति किलो मिल रही है। कद्दू से इस बार करीब साढ़े तीन लाख की आमदनी होने की उम्मीद है।
महिलाएं नहीं लगाती चीरा
मेनार सहित ग्रामीण इलाकों में कद्दू को लेकर विशेष मान्यता है। परिवार की महिलाएं या लड़कियां इसको चीरा नहीं लगाती हैं। अंचल में पुरुष की ओर से इसे बधारने के बाद ही महिलाएं इसे चीरा लगाती हैं। मान्यता है कि कद्दू को सिर का स्वरूप माना जाता है। इसलिए नारियल की तरह इसे भी बधारने के लिए पुरुष ही जिम्मेदारी निभाते हैं। उत्तर भारत में इसे मां सीता का फल भी कहा जाता है।
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