
जितेन्द्र चौरसिया, भोपाल. कमलनाथ सरकार स्टेट रोड पॉलिसी लागू करेगी। इसके तहत पहले से तय रहेगा कि कौन सा विभाग कहां की सड़कें बनाएगा। सड़क खोदने पर भारी-भरकम जुर्माना भी लगाने का प्रावधान होगा। प्लानर से लेकर नुकसान पहुंचाने वाली एजेंसी तक की जवाबदेही तय की जाएगी। इसमें सालाना ऑडिट का सिस्टम भी लागू होगा, ताकि सड़कें चाक-चौबंद रह सके। अभी नियमावली से काम चलाया जा रहा है।
- ऐसी होगी नई पॉलिसी
1. दस किलोमीटर तक की सड़क ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण बनाएगा। इससे ज्यादा लंबी सड़क लोक निर्माण विभाग बनाएगा। साथ ही शहरी क्षेत्र के लिए बड़ी सड़कें और भू-अर्जन वाली सभी सड़कें बनाएगा। इसमें पुल-पुलिया शामिल रहेंगे। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी नेशनल हाईवे ओरिजनल की सड़कें भी बनाएगा।
2. एमपीआरडीसी के पास स्टेट हाइवे और टोल वाले नेशनल हाइवे का जिम्मा रहेगा। स्टेट हाइवे मरम्मत का काम भी एमपीआरडीसी के पास ही रहेगा। नेशनल हाइवे बनाने और मरम्मत का जिम्मा नेशनल हाइवे अथॉरिटी के पास होगा।
3. शहरों के लिए फिलहाल लोक निर्माण विभाग, नगर-निगम और भोपाल में सीपीए की जिम्मेदारी यथावत रहेगी, लेकिन इसमें सड़क के नए मापदंड तय होंगे। तीनों ही एजेंसी के जिम्मे मरम्मत का काम भी रहेगा। इसमें सड़क डैमेज होने पर जुर्माने के प्रावधान भी लागू होंगे।
- ऐसे सख्त होंगे नियम
सड़क निर्माण के समय ही भविष्य के लिए केबल वायर, पोल और ड्रेनेज की व्यवस्था प्लान के हिसाब से करना होगी। यदि कहीं इसके बाद नई सड़क को निर्धारित समयावधि में खोदा जाता है तो उसके लिए भारी जुर्माना लगाया जाएगा। अभी नगर निगम के पास जुर्माने लगाने के अधिकार है, लेकिन यह मामूली होता है। इस नियम का क्रियान्वयन भी नहीं होता है, लेकिन नई नीति में इसे लेकर सख्त नियम लाए जा रहे हैं, ताकि सड़क पब्लिक प्रॉपर्टी के तौर पर सुरक्षित रहे। इसके लिए सड़क प्लानर से लेकर खोदने वाली एजेंसी तक पर कार्रवाई का प्रावधान रहेगा। इसमें सरकारी व निजी एजेंसी और व्यक्ति की श्रेणियां भी रखी जाएंगी।
- हर क्षेत्र के लिए अलग नियम
सड़क निर्माण के लिए निर्धारित स्टैंडर्ड को भी अपग्रेड किया जाएगा। इसमें सड़क की मोटाई-चौड़ाई से लेकर ड्रेनेज, वॉटर-फ्लो, ग्राउंड वॉटर सहित अन्य मापदंडों को सख्त किया जाएगा। निरीक्षण में कोताही पाई जाने पर स्पॉट फाइन किया जाएगा। रोड सेफ्टी रूल्स को भी अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। इसमें गड़बड़ होने पर रोड डिजाइनर-प्लानर से लेकर निर्माण एजेंसी तक पर कार्रवाई के प्रावधान होंगे। इसके साथ ही रेंडम जांच का सिस्टम भी पॉलिसी में दिया जाएगा।
- रुकेगी ऐसी गड़बड़ी : एक रोड कई विभागों ने बनाई
नई रोड पॉलिसी में हर एजेंसी की जवाबदेही तय होगी, इसलिए पूर्व में जिस प्रकार की गड़बड़ी हुई, उसकी आशंका कम हो जाएगी। सीएजी ने 2016-17 में एक ही रोड के दो एजेंसियों के बनाने की गड़बड़ी आपत्ति उठाई थी। पर्यटन विभाग और लोक निर्माण विभाग के एक ही रोड के निर्माण भुगतान के बिल सामने आए थे। इसके अलावा जवाबदेही तय होने से मरम्मत के खर्च को लेकर भी नियंत्रण होगा।
- इसलिए पड़ी जरूरत
दरअसल, सड़कों पर बीते सालों में करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन सड़कों की परफार्मेंस अच्छी नहीं पाई गई है। यहां तक कि मरम्मत को लेकर भी ठीक हालात नहीं है। उस पर लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, ग्रामीण सड़क प्राधिकरण, पर्यटन विभाग सहित कई एजेंसियां सड़कों का निर्माण करती हैं। सरकार ने हर सड़क पर निर्माण एजेंसी का बोर्ड लगाना भी अनिवार्य किया, लेकिन जवाबदेही के मामले में उसका भी कारगर परिणाम सामने नहीं आया।
- ये और बड़ा कदम : नेशनल हाइवे बनाने की तैयारी
कमलनाथ सरकार प्रदेश की सरहद वाले नेशनल हाइवे को खुद बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए केंद्रीय मंत्रालय को प्रस्ताव दिया जा रहा है, लेकिन अभी इस पर प्लान नहीं बना है। जो नेशनल हाइवे अभी केंद्र सरकार के अधीन हैं, वहां पर मरम्मत व निर्माण की पेचीदगियां हैं। केंद्रीय मंत्रालय इस पर काम नहीं करता, जिससे प्रदेश सरकार को उसका खामियाजा उठाना पड़ता है। सरकार की कोशिश है कि पूरे नेशनल हाइवे ही उसे दे दिए जाएं। यदि नेशनल हाइवे राज्य सरकार को मिल जाते हैं तो इन्हें पीपीपी मोड पर बनाया जाएगा।
पिछली भाजपा सरकार ने सड़कों के नाम पर केवल भ्रष्टाचार किया। भाजपा ने ठेकेदारों के लिए ही काम किया और उनके हिसाब से काम किया। हम राज्य की सड़क नीति तैयार कर रहे हैं, जिसके चलते हर एजेंसी की जवाबदेही तय होगी।
- सज्जन सिंह वर्मा, मंत्री, पीडब्ल्यूडी
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