
पाली। भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में भाद्रपद की अष्टमी को जन्माष्टमी पर तारणहार के जन्म का उल्लास छाएगा। मंदिरों में घंटे-घडि़याल की ध्वनि के साथ शंखनाद होगा, लेकिन प्रभु के दर्शन श्रद्धालुओं को नहीं हो सकेंगे। कोरोना महामारी के कारण हर मंदिर में पुजारी के साथ समाज के चंद लोग व ट्रस्टी ही गिरधरगोपाल के जन्म लेने पर आरती कर पूजन करेंगे। मंदिरों में सजने वाली झांकियों भी नहीं सजाई जाएगी। मंदिरों में होने वाले भजन व कीर्तन के कार्यक्रम भी स्थगित कर दिए गए है। हालांकि भगवान के जन्म की खुशी में मंदिरों को जरूर सजाया जा रहा है। बालगोपाल के शृंगार के लिए नए वस्त्र और मुकुट आदि तैयार किए गए है।
गीता सत्संग भवन
गीता सत्संग भवन के महंत स्वामी प्रेमानंद ने बताया कि इस बार सार्वजनिक स्तर का कोई कार्यक्रम नहीं किया जाएगा। मंदिर की सजावट की जा रही है। मंदिर में चंद ट्रस्टियों के साथ पूजन व आरती की जाएगी। मंदिर में होने वाले भजन कीर्तन भी स्थगित कर दिए गए है। मंदिर के पट खु्रलेंगे, लेकिन हर व्यक्ति को प्रवेश देकर भीड़ एकत्रित नहीं होने दी दी जाएगी। प्रसाद वितरण में भी भीड़ नहीं होने देंगे।
भगवान रघुनाथ व गोपीनाथ मंदिर
पानी दरवाजा स्थित भगवान रघुनाथ व गोपीनाथ मंदिर में भी श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। रघुनाथ मंदिर पुजारी रंजन शर्मा ने बताया कि मंदिर में किसी तरह की झांकी नहीं सजाई जाएगी। मंदिर में माहेश्वरी समाज के दस से बारह लोग उपस्थिति रहेेंगे। अग्रवाल पंचायत के सह सचिव नवरतन अग्रवाल का कहना है कि समाजबंधुओं व ट्रस्टियों के साथ भगवान का पूजन किया जाएगा। झांकियां नहीं सजाई जाएगी।
व्यंक्टेश मंदिर के नहीं खोलेंगे पट
व्यंक्टेश भगवान मंदिर (रंगजी मंदिर) के पट तो श्रद्धालुओं के लिए काफी दिन से बंद है। मंदिर व्यवस्थापक जेके झंवर ने बताया कि मंदिर में जन्माष्टमी पर पुजारी भगवान का पूजन कर भोग चढ़ाएंगे। मंदिर के पट नहीं खोले जाएंगे। पट खोलते ही भीड़ होने का डर है। इसी कारण इस बार झूला महोत्सव के तहत झूले भी नहीं लगाए गए थे। एेसी ही व्यवस्था शहर के अन्य मंदिरों में भी की गई है।
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