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Thursday, March 19, 2020

निर्भया केसः 7 साल बाद मिला इंसाफ, तिहाड़ जेल में चारों दोषियों को फांसी दी गई

नई दिल्ली। लंबा संघर्ष और तारीख पर तारीख मिलने के बाद आखिरकार वो घड़ी आ ही गई जब निर्भया ( Nirbhaya Gang rape Case ) के चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। तिहाड़ जेल के बाहर इस समय जश्न का माहौल बना हुआ है। देर रात सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की याचिका खारिज होने के बाद चारों गुनहगारों को जल्लाद पवन ने सूली पर लटकाया। इससे पहले तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने फांसी घर का जायजा लिया ।

 

Live Updates:

- चारों दोषियों को फांसी दी गई

जल्लाद ने फंदे की गाठ को चेक किया

- जल्लाद ने फांसी का फंदा दोषियों के गले में डाला

- निर्भया के दोषियों को फांसी देने वाली जगह पर लाया गया।

 

 

इस तरह हुई फांसी की तैयारी
निर्भया के दोषियों को फांसी से पहले आपको बता दें कि चारों दोषियों को अलग अलग सेल में रखा गया। उसके आस पास के सेल को खाली करा दिया गया।

उनके सेल के बाहर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई । ताकि वो लोग अपने आप को कोई भी नुकसान न पहुंचा सकें।

पहनाया गया लाल रंग का परिधान
तिहाड़ जेल में कैद निर्भया के दोषियों को फांसी देने से पहले विशेष तौर का परिधान पहनाया गया । इस परिधान का रंग लाल है।

फांसी से डेढ़ घंटे पहले जल्लाद का काम शुरू
दोषियों से फांसी देने से करीब डेढ़ घंटे पहले पवन जल्लाद का काम शुरू हुआ। जल्लाद के जेल प्रशासन की मीटिंग हुई।

इस मीटिंग में यह तय होता है कि कैसे कैदी के पैर बांधने होते हैं कैसी रस्सी बांधनी होती है।

फांसी की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए पवन जल्लाद ने कहा कि जो समय निर्धारित होता है उससे 15 मिनट पहले चल देते हैं।

हम उस समय तक तैयार रहते हैं। फांसी की तैयारी करने में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है।

फांसी घर लाने से पहले कैदी के दोनों हाथ को हाथकड़ी या फिर रस्सी से बांधा गया। दोषियों को दो सिपाही पकड़ कर फांसी घर तक लेकर आएंगे।

बैरक से फांसी घर लाने की प्रक्रिया
फांसी घर से दूरी के आधार पर फांसी के तय समय से पहले दोषियों को लाना शुरू किया जाता है।

इतने लोग मौजूद
फांसी देते समय बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मी मौजूद रहे। इसके साथ ही जेल सुप्रिटेंडेंट डॉक्टर भी मौजूद रहे।

फांसी लगने में लगेंगे 15 मिनट
फांसी देते वक्त कोई किसी से बात नहीं करता। सिर्फ इशारों में ही प्रक्रिया चलती है। दरअसल इसकी वजह यह है कि वहां पर कैदी को कोई डिस्टर्ब न हो या फिर वहां पर कैदी कोई ड्रामा न खड़ा कर दें। फांसी देने में 10 से 15 मिनट का समय लगता है। कैदी के हाथ पैर दोनों उस दौरान बांध दिए जाते हैं और उनके उनके सर पर टोपा डाल दिया जाता है।

बनाया जाता है गोल निशान
कैदी को खड़े करने के स्थान पर गोल निशान बनाया जाता है, जिसके अंदर कैदी के पैर होते हैं। इसके बाद जैसे ही जेल अधीक्षक रुमाल से इशारा करता है हमलोग लीवर खींच देते हैं।
उसके बाद कैदी सीधे कुएं में टंग जाता है। 15 मिनट बाद कैदी का शरीर शांत हो जाता है, जिसके बाद डॉक्टर्स कैदी के पास पहुंच कर उनकी हार्ट बीट चेक करते हैं।

फांसी के बाद की प्रक्रिया
हार्ट बीट चेक करने के बाद डॉक्टर्स के इशारे के मुताबिक उन्हें उतार दिया जाता है। उसके बाद उसे चादर से ढक दिया जाता है। उसके बाद जल्लाद फंदा और रस्सी एक तरफ रख देते हैं।

शवों का होगा पोस्टमॉर्टम
चारों दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद उनका पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। इस पोस्टमॉर्टम के जरिये ये चेक किया जाता है कि फांसी ठीक तरह से लगी या नहीं। जान फांसी लगने से ही गई या फिर ह्दय गति रुकने। गले की हड्डी ठीक से टूटी या नहीं।



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