उज्जैन. सावन का महीना, जगमगाता महाकाल का दरबार और भोले की भक्ति में डूबे श्रद्धालु। हर कोई बाबा महाकाल की एक झलक पाने को आतुर। ऐसे में क्या दिन और क्या रात। हर समय मंदिर परिसर के बाहर हिलौरे लेती आस्था। हालांकि रात में शयन आरती के बाद महाकाल मंदिर के पट बंद रहते हैं, इसके बाद भी कई श्रद्धालु मंदिर के बाहर से शिखर दर्शन कर ही खुद को धन्य महसूस कर रहे हैं और कई लोग मंदिर के बाहर ही पूरी रात गुजार रहे हैं। मंगलवार रात पत्रिका रात का रिपोर्टर श्रद्धालुओं के बीच पहुंचा तो उनका कहना था कि बाबा के दरबार में जागने का अलग ही मजा है। यहां आकर लंबे सफर की थकान पलभर में ही उतर गई। यह शक्ति महाकाल खुद उन्हें दे रहे हैं।
स्थान: देवास गेट से तोपखाना
उज्जैन. रात का रिपोर्टर १२.०५ पर सबसे पहले देवास गेट बस स्टैंड पहुंचता है। यहां लोग चाय और पोहे का आनंद ले रहे हैं। रेलवे स्टेशन के बाहर भी यही नजारा है। यहां कई लोग कांधे पर बैग टांगकर मालीपुरा के रास्ते महाकाल मंदिर की तरफ जा रहे हैं। रिपोर्टर ने पूछा तो एक व्यक्ति ने अपना नाम दुलेसिंह निवासी विदिशा बताया। उससे पूछा कि भैया कि इतनी रात में कहां पैदल-पैदल जा रहे हो, तो वो बोला कि महाकाल के दर्शन करना है। रिपोर्टर ने कहा कि सुबह तक दर्शन नहीं होंगे, अभी मंदिर के पट बंद है, यहीं किसी लॉज में आराम कर लो। इस पर दुलेसिंह का कहना था कि भाई साहब, सोते तो रोज हैं, लेकिन आज महाकाल के दरबार में रातभर जागेंगे। थकान होगी तो वहीं किसी जगह पर चटाई बिछाकर कमर सीधी कर लेंगे। सुबह महाकाल का आशीर्वाद लेकर उज्जैन घूम लेंगे। रिपोर्टर आगे बढ़ा तो दौलतगंज चौराहे के पास नासिक निवासी मोहनराव वाघ, लक्ष्मणराव जोगलेकर, विमल चौधरी और महेेंद्र देशमुख मिले। उनसे पूछा तो वे भी यही बोले कि इधर-उधर भटकने से अच्छा है कि महाकाल मंदिर के बाहर का भी आनंद लिया जाए। दौलतगंज चौराहे से होते हुए आगे बढऩे पर तोपखाना क्षेत्र पहुंचे तो वहां काफी चहल पहल नजर आई। रेस्टोरेंट और चाय नाश्ते की कई दुकानें खुली हुई थी। दर्जनों की संख्या में युवा ओटलों पर बैठकर बातचीत में मशगूल थे।
मंदिर के बाहर भस्म आरती का इंतजार
महाकाल घाटी चौराहा पहुंचे तो नजारा देखने लायक था। भगवा कपड़ों में, नंगे पैर कई श्रद्धालु वहां से गुजर रहे थे। आसपास की होटलें खुली हुई थी। कर्मचारी लोगों को होटल के पैकेज के बारे में बता रहे थे। घाटी पर बैरिकेड्स लगे थे। पुलिस भी यहां तैनात थी। आगे चलने पर रेस्टोरेंट खुले थे, खचाखच भीड़ थी, पोहा-जलेबी, पराठा, फलाहारी, दूध और चाय के ठेले भी लगे हुए थे। यहां कई श्रद्धालु भूख शांत कर रहे थे। पूजन सामग्री की दुकानों के कर्मचारी लोगों को भस्म आरती के लिए सोला लेने की बात कर रहे थे। कई श्रद्धालु रात ३ बजे होने वाली भस्म आरती के लिए करीब तीन घंटे पहले ही पहुंच गए थे और भस्म आरती द्वार के पास बने शेड में बैठकर भजन कर रहे थे। एक ठेले पर पराठा खा रहे मंदसौर निवासी अनुज सिंह से पूछा कि भैया कहां ठहरे हो, तो उसने कहा कि अभी तो बाबा महाकाल की शरण में ही हूं। होटल में रूम लिया है, लेकिन यहां इतनी शांति मिल रही है कि वहां जाने का मन ही नहीं कर रहा। सोच रहा हूं कि रातभर यहीं कहीं बैठकर बाबा का ध्यान कर लूं। वहीं पास में बैठे सेंधवा निवासी रामकिशन जाधव ने बताया कि वे यहां भस्म आरती में शामिल होने आए थे, लेकिन अनुमति नहीं मिल सकी। किसी ने बताया कि भस्म आरती का सीधा प्रसारण मंदिर के बाहर लगी एलइडी स्क्रीन पर होता है। तो सोच रहा हूं कि वहां से ही दर्शन कर लूं। अब घर से इतनी दूर आए तो हैं तो कैसे भी दर्शन हो, करके ही जाएंगे।
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